लड़ाई बा स्वाभिमान के!

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ई लड़ाई बा स्वाभिमान के, ई बा हमार सम्मान के,
रास्ता आसान नईखे, कठिन बा ई अभियान के।

घर में पालल गइल बकरी जइसन,
हमेशा दबाइल, चुप, अबला जइसन।
बाकिर हमहू इंसान बानी, हमरो इज्जत बा,
हमरो सम्मान मिले के चाहीं, एह दुनिया में जगह मिले के चाहीं।

आर्थिक रूप से मजबूत होखल जरूरी बा,
बिनु एकरा कमजोर समझल जाला हर घरी।
समाज ना माने, घरवाला ना शमझी,
अपना लोग साथ ना दी , तबो आगे बढ़े के पड़ी।

अपना सपना सहेज के,
अपना गोड़ पर चल के।
जब हम कर सकी त, तूं काहे ना कर सके?
भरोसा राख, हिम्मत जुटाव, ई लड़ाई जीतहीं के पड़ी।

ई लड़ाई बा स्वाभिमान के, ई बा हमार सम्मान के,
रास्ता आसान नईखे, कठिन बा ई अभियान के ।

:-रिंकु कुमारी ठाकुर

 

 

 

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